20(Twenty) Children's Movies
Children’s movies |
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Under the Ministry of Education, Government of India
On 04.02.2021
from 19th June to 18th July 2021
Class IV students.
With Sh.Ashok Kumar, principal Kendriya Vidyalaya#1, Jaipur
Under the Ministry of Education, Government of India
Children’s movies |
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रविन्द्रनाथ
टैगोर
रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म
बगाल के एक समृद्ध परिवार में हुआ । बचपन में शिक्षा के लिए उन्हें किसी स्कूल में
नहीं भेजा गया ।
कोलकाता में घर पर ही उनकी
शिक्षा का प्रबन्ध किया गया । एक विद्वान् शिक्षक उन्हे पढ़ाने आते थे । वे पढ़ाई
में अधिक रुचि नहीं रखते थे । हार कर उन्हें स्कूल में भी भरती कराया गया, लेकिन वहाँ भी वे मन लगाकर
नहीं पढ़े ।
आगे की पढ़ाई के लिए उनके पिता ने उन्हें इंग्लैण्ड भेज दिया । लदन
में वे यूनिवर्सिटी कॉलेज में भरती हो गए । वही वे कुछ समय तक पढ़े, लेकिन बिना किसी परीक्षा को पास किए ही भारत लौट आए । उन्होंने कोई
डिग्री परीक्षा कभी पास नहीं की ।
रवीन्द्रनाथ
टैगोर को साहित्य के नोबल पुरस्वगर से सम्मानित किया गया । वे पहले भारतीय थे, जिन्हें नोबल
पुरस्कार मिला । इस पुरस्कार ने उनकी ख्याति में चार-चाँद लगा दिए । कलकत्ता
विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘डॉक्टर ऑफ लेटर्स’
की उपाधि प्रदान करके सम्मानित किया । तत्कालीन भारत सरकार ने
उन्हें ‘सर’ की उपाधि से
विभूषित किया ।
अब
उन्होंने यूरोप, अमरीका, चीन और जापान का भ्रमण किया । वे जहाँ भी जाते, उनका भव्य स्वागत
होता था । लोग उनके ज्ञान की भूरि-भूरि प्रशंसा करते थे । उनकी असाधारण साहित्यिक
प्रतिभा तथा प्रभावशाली भाषणों का बड़ा सम्मान किया जाता था ।
1901 ई॰ में बोलपुर नामक एक
छोटे-से गाँव में उन्होंने एक स्कूल की स्थापना की । उन्होंने इसे ‘शांतिनिकेतन’ नाम दिया । यह स्कूल
विश्वभर में प्रसिद्ध हो गया । इसकी कोई विशाल इमारत नहीं है । यह स्कूल खुले
मैदान में लगता है । विद्यार्थी प्रकृति की गोद में विद्या प्राप्त करते हैं ।
संसार के सभी भागों से लोग
यहां शिक्षा प्राप्त करने आते है । उन्हे इस स्कूल में पढ़ना, लिखना, कला, संगीत, नाच और गाना सिखाया जाता है
। हमारी भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने भी कुछ समय यही शिक्षा
पाई थी ।
बिना छत का यह स्कूल संसार
में अनूठा है । जब तक यह संस्था जीवित है, तब तक इस महान् कवि, लेखक और दार्शनिक का नाम
अमर रहेगा ।
रवीन्द्रनाथ टैगोर बड़े
प्रतिभावान थे । वे एक सच्चे महात्मा थे और वैसे ही वे दिखाई भी देते थे । वे
लम्बे-लम्बे बाल रखते थे और उनकी लम्बी दाढी थी । उनके बहुत-से शिष्य थे, जो उन्हें बडी श्रद्धा से
गुरुदेव कहते थे ।
वे महान् कवि और
समाज-सुधारक थे । उन्होंने भारत का गौरव बढाया । भारत को ऐसे विद्वान् पर सदा गर्व
रहेगा । हम इतने महान् विद्वान्, कवि, लेखक और दार्शनिक को कभी न भुला पायेंगे ।
GANGA QUEST 2021 |